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Channel: Health सारांश
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भीतरी शक्ति का विकास

भीतर की शक्ति से ही जीवन चलता है। स्नायु दुर्बलता से भीतर की शक्ति जाती रहती है। स्नायु दुर्बलता के कारण हैं- अनियमित भोजन, चिंता, मद्यपान, अश्लील साह

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कब्ज है रोग की जड़

कब्ज आधुनिक मनुष्य का रोग है। कुछ भी कभी भी खा लेने की आदत के चलते आज कब्ज से लगभग सभी लोग पीड़ित हैं। कब्ज से आँते कमजोर और दुर्गंधयुक्त हो जाती है। ज

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ब्रह्म मुद्रा के लाभ

ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार। ब्रह्म शब्द का उपयोग परमेश्वर के लिए किया जाता है। ब्रह्म मुद्रा को मुद्रा, क्रिया और आसन की श्रेणी में रखा गया है। यो

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वायु से बढ़ाएँ आयु

कछुए की साँस लेने और छोड़ने की गति इनसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। व

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मन को शांत करे भ्रामरी

भ्रामरी प्राणायाम करते समय भ्रमर अर्थात भँवरे जैसी गुंजन होती है, इसी कारण इसे भ्रामरी प्राणायाम कहते हैं। भ्रामरी प्राणायाम से जहाँ मन शांत होता है व

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योग साधना की सात बाधा

योग एक ‍कठिन साधना है। इसका अभ्यास किसी गुरु के सानिध्य में रहकर ही किया जाता है। विभिन्न योगाचार्यों अनुसार अभ्यास के समय कुछ आदतें साधक के समक्ष बाध

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थोड़ी-थोड़ी भी न पियो तो अच्छा!

शरीर में अल्कोहल की मात्रा ज्यों - ज्यों बढ़ती है , दिल का अपनी ही धड़कनों पर नियंत्रण भी घटता चला जाता है। यदि आप अपने दिल को दुरुस्त रखना चाहते हैं

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आपकी लाइफ का फंडा क्या है?

इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं जिससे गलतियाँ नहीं होती। लेकिन एक ही गलती को बार-बार करना गलत है। और इससे भी ज्यादा गलत है एक गलती को उम्र भर के लिए अपराध मान लेना। हर समय पश्चाताप की आग में जलना सही नहीं

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मोटापा करे कम, घर के नुस्खों में है दम

भोजन में गेहूं के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएं। इससे सिर्फ पेट और कमर ह

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जिनकी सोच पॉजिटिव वे किसी भी महफिल में छा जाते हैं

सकारात्मक सोच जीवन-संघर्ष में आपकी सच्ची साथी है। साथ ही आपको बीमारियों से भी बचाती है। साइकोलॉजिस्ट बताते हैं-पॉजिटिव थिंकिंग से रास्ते की मुश्किलें हल हों या न हों, मन का तनाव जरूर खत्म हो जाता है।

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जानिए अष्टांग योग को

इसी योग का सर्वाधिक प्रचलन और महत्व है। इसी योग को हम अष्टांग योग योग के नाम से जानते हैं। अष्टांग योग अर्थात योग के आठ अंग। दरअसल पतंजल‍ि ने योग की समस्त विद्याओं को आठ अंगों में श्रेणीबद्ध कर दिया

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यौन रोग मिटाए सिद्धासन

सिद्धों द्वारा सेवित होने के कारण इसका नाम सिद्धासन है। ध्यान की अवस्था में अधिकतर साधु इसी आसन में बैठते हैं।यह आसन ब्रह्मचर्य की रक्षा करता है। कामव

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बंध त्रय योग के फायदे

इससे गले, गुदा, पेशाब, फेंफड़े और पेट संबंधी रोग दूर होते हैं। इसके अभ्यास से दमा, अति अमल्ता, अर्जीण, कब्ज, अपच आदि रोग दूर होते हैं। इससे चेहरे की चमक बढ़ती है। अल्सर कोलाईटिस रोग ठीक होता है और फेफ

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गर्भावस्था के दौरान सावधानियां

जैसे ही पुष्टि हो जाती है कि आप गर्भवती हैं उसके बाद से प्रसव होने तक आप किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ की निगरानी मे रहें तथा नियमित रुप से अपनी चिकित्सीय

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